भारत में कीमती धातु चांदी की कीमतों में आई अभूतपूर्व तेजी ने आम भारतीय निवेशकों और परिवारों को अपनी पुरानी चांदी बेचने के लिए प्रेरित किया है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, भारतीयों ने केवल एक सप्ताह में अनुमानित 100 टन पुरानी चांदी (Scrap Silver) बेची है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि लोग रिकॉर्ड कीमतों का फायदा उठाने के लिए कितनी तेज़ी से आगे आ रहे हैं।
रिकॉर्ड कीमत पर मुनाफावसूली की होड़
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बिक्री में उछाल: आमतौर पर, भारतीय बाज़ार में एक महीने में केवल 10-15 टन पुरानी चांदी ही पहुँचती है। बुधवार को समाप्त हुए सप्ताह के 100 टन का आंकड़ा, इस कीमत पर मुनाफावसूली की होड़ को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
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रिकॉर्ड स्तर: बुधवार को रिटेल मार्केट में चांदी ₹1,78,684 रुपए प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गई थी। हालांकि गुरुवार को कीमत थोड़ी गिरकर ₹1,75,730 रुपए पर आ गई, फिर भी यह हाल के निचले स्तर से लगभग 20% अधिक है।
IBJA के राष्ट्रीय सचिव, सुरेंद्र मेहता ने इस बिक्री वृद्धि के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें प्रमुख हैं: मुनाफावसूली, साथ ही चल रहे शादी-ब्याह के मौसम और छुट्टियों में यात्रा के कारण कैश की घरेलू मांग। उन्होंने बताया कि बेची गई चांदी का एक बड़ा हिस्सा चांदी के बर्तनों और अन्य घरेलू सामान के कबाड़ का है।
क्यों बढ़ रही है चांदी की कीमत?
चांदी की कीमतों में इस ज़बरदस्त तेज़ी के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक काम कर रहे हैं:
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आपूर्ति में कमी: ग्लोबल सप्लाई, विशेषकर खनन (Mining) से, मांग के मुकाबले कम है।
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अमेरिकी ब्याज दरों की उम्मीदें: अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों से डॉलर कमजोर हो रहा है, जिससे कमोडिटीज़ (Commodities) आकर्षक हो जाती हैं।
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डॉलर बनाम रुपया: ग्लोबल लेवल पर डॉलर में नरमी है, लेकिन भारतीय करेंसी (रुपये) के मुकाबले यह मजबूत बना हुआ है, जिससे घरेलू बाज़ार में चांदी और महंगी हो रही है।
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औद्योगिक मांग: सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक वाहनों में चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग।
मेहता ने कहा कि अब जब कीमतें फिर से बढ़ रही हैं, तो लोग नकदी जुटाने के लिए धातु बेच रहे हैं।
दाम ₹2 लाख और ₹2.4 लाख तक पहुँचने का अनुमान
चालू वर्ष (2025) में चांदी की कीमत ₹86,005 रुपए प्रति किलोग्राम से दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, जिसने सोने के लगभग 60% की ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह तेज़ी अभी जारी रहेगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के नवीन दमानी का अनुमान है:
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2026 की पहली तिमाही: चांदी ₹2 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुँच सकती है।
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अगले साल के अंत तक: यह ₹2.4 लाख प्रति किलो तक भी पहुँच सकती है।
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डॉलर में कीमत $75 प्रति औंस तक जा सकती है।
वैश्विक उत्पादन में कमी: मांग के आगे सप्लाई कम
वाशिंगटन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2020 से ही चांदी की वैश्विक मांग इसकी सप्लाई से ज्यादा रही है।
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अधिकांश चांदी का खनन सोने, सीसे या जस्ता (Zinc) माइनिंग के बाय प्रोडक्ट के रूप में होता है। इसलिए, जब तक इन मेटल्स की माइनिंग नहीं बढ़ती, चांदी की सप्लाई सीमित रहेगी।
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2025 में माइन की गई चांदी की सप्लाई 813 मिलियन औंस पर स्थिर रही है।
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सिल्वर इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 2025 में रीसाइकिल सहित कुल सप्लाई 1.022 बिलियन औंस होगी, जो अनुमानित 1.117 बिलियन औंस की मांग से काफी कम है।