पितरों को अंगूठे से क्यों दिया जाता है तर्पण?
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पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।
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पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण अंगूठे से ही क्यों किया जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स जी से जानेंगे।
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पितरों को अंगूठे से तर्पण देने की शुरुआत रामायण-महाभारत काल से हुई थी। राम और पांडवों ने अंगूठे से पितरों का तर्पण किया था।
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शास्त्रों में भी मनुष्य के शरीर का हर हिस्सा किसी देवी-देवता के अधीन होता है। अंगूठे में पितरों का वास माना जाता है।
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यही कारण है कि अंगूठे को पितृ तीर्थ कहा जाता है। अंगूठे से जल अर्पित करने से वह पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक पहुंचता है।
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पिंडों पर जल गिरने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है। अंगूठे के अलावा किसी और उंगली से जल देने से पितरों तक न तो भोजन पहुंचता है।
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अंगूठे के अलावा किसी अन्य उंगली से जल अर्पित करने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है और न ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आपको यह स्टोरी कैसी लगी, हमें कमेंट कर जरूर बताएं।
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