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RBI कम करेगा आपकी EMI या महंगाई से दिलाएगा निजात, आज होगा फैसला

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Posted On:Friday, December 5, 2025

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक आज अपने अंतिम चरण में है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा (जो MPC के चेयरमैन भी हैं) शुक्रवार सुबह 10 बजे पॉलिसी के नतीजों की घोषणा करेंगे। बाज़ार और अर्थशास्त्रियों के बीच इस बात को लेकर अलग-अलग राय है कि क्या RBI एक बार फिर रेपो रेट में कटौती (Rate Cut) शुरू करेगा या पिछली दो बैठकों की तरह इस बार भी दरों को स्थिर रखेगाGDP बनाम महंगाई: डेटा का द्वंद्व

RBI के लिए यह फैसला मुश्किल इसलिए है क्योंकि दो प्रमुख आर्थिक आंकड़े विपरीत दिशाओं में इशारा कर रहे हैं:

  1. मज़बूत GDP: सितंबर क्वार्टर में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) उम्मीद से कहीं ज़्यादा 8.2% बढ़ी है। यह मज़बूत ग्रोथ रेट यह तर्क देती है कि अर्थव्यवस्था को तत्काल पॉलिसी सपोर्ट की ज़रूरत नहीं है।

  2. घटती महंगाई (Inflation): दूसरी ओर, खुदरा महंगाई दर अनुमान से कहीं ज़्यादा तेज़ी से नीचे आई है। पिछले दो महीनों से महंगाई RBI के 2-6% के टारगेट बैंड के नीचे बनी हुई है। अक्टूबर में रिटेल महंगाई सिर्फ 0.25% रह गई, जिसका मुख्य कारण GST कटौती, बेस इफेक्ट और सब्ज़ियों-फलों की कीमतों में बड़ी गिरावट है।

RBI ने पिछले साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में कुल 100 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की है और इसे 5.5% तक लाया है, लेकिन अगस्त और अक्टूबर में दरों को स्थिर रखा था।

एक्सपर्ट्स की राय: कट या होल्ड?

अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ इस फैसले पर बंटे हुए हैं:

पक्ष एक्सपर्ट्स का मत तर्क
रेट होल्ड मदन सबनवीस (बैंक ऑफ बड़ौदा), अदिति नायर (ICRA) GDP उम्मीद से ज़्यादा है। वर्तमान रेट लेवल अच्छी-खासी "पॉजिटिव रियल रेट" दे रही है। तुरंत रेट कट की ज़रूरत नहीं है।
रेट कट HDFC बैंक, धर्मकीर्ति जोशी (CRISIL) महंगाई (कोर इंफ्लेशन) काफी नीचे आ चुकी है (अक्टूबर में 2.6%)। FY27 की तीसरी तिमाही तक महंगाई 4% से भी नीचे जा सकती है। ग्रोथ को आगे बढ़ाने के लिए 25 bps कट की संभावना है।
ग्रोथ पर फोकस संदीप वेंपाटी (BJP) भारत दुनिया की उन गिनती की अर्थव्यवस्थाओं में है जहाँ ग्रोथ बढ़ रही है और महंगाई घट रही है। MPC ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए 25 या यहाँ तक कि 50 bps तक कटौती कर सकती है।

RBI के फोकस में क्या रहेगा?

भले ही RBI ब्याज दरों में बदलाव न करे, लेकिन बाज़ार और निवेशक उसकी आगे की गाइडेंस पर नज़र रखेंगे। मुख्य फोकस इन बिंदुओं पर रहेगा:

  • लिक्विडिटी (Liquidity): बैंकिंग सिस्टम में तरलता (लिक्विडिटी) को लेकर RBI का क्या रुख रहता है।

  • आगे की रेट पॉलिसी: क्या RBI भविष्य में दर कटौती के संकेत देता है?

  • अर्थव्यवस्था की तस्वीर: RBI का अर्थव्यवस्था की ग्रोथ और महंगाई के लिए नया अनुमान क्या है।

ICRA की अदिति नायर ने यह चेतावनी दी है कि ज़्यादा कट लगाने से BOP (Balance of Payments) पर असर और बैंकों के फंड जुटाने में दिक्कतें आ सकती हैं। RBI का दीर्घकालिक लक्ष्य है कि महंगाई 4% के आसपास (+/- 2% की सीमा में) बनी रहे।


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