नवरात्रि का हर एक दिन खास होता है क्योंकि 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने से जातक के घर और जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है। साथ ही माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि की पूजा करते समय आरती, कथा और मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
माँ कालरात्रि कथा
माँ कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 रूपों में से एक हैं, माँ कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, उनके काले रंग के कारण उन्हें कालरात्रि कहा जाता है। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि अपने दोनों बाएं हाथों में क्रमशः एक खंजर और एक लोहे का कांटा रखती हैं। माँ दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए अपने तेज से माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया।
मां कालरात्रि पूजन विधि
-नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर श्रद्धापूर्वक मां को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का प्रसाद अर्पित करें। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, उन्हें यह पुष्प अवश्य अर्पित करना चाहिए। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और अंत में मां कालरात्रि की आरती करें।
मां कालरात्रि के मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:.’
मंत्र-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥