भारत न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक उभरता हुआ पावर सेंटर है। अमेरिका हो या यूरोप, सभी प्रमुख शक्तियों की नज़रें नई दिल्ली पर टिकी हैं। ऐसे में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया दो दिवसीय भारत यात्रा ने दुनिया भर का ध्यान खींचा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की निजी दोस्ती, भारत और रूस के दशकों पुराने सामरिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करती है।
पुतिन की इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए और द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई देने पर सहमति बनी। सबसे बड़ा आर्थिक लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2030 तक $100 बिलियन तक पहुँचाना तय किया गया है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापार के मोर्चे पर बाजार खोलने और आवश्यक सुधार करने पर भी चर्चा हुई।
रक्षा सौदों पर चुप्पी: क्या अटक गई है बातचीत?
हालांकि, भारतीय विश्लेषकों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच किसी बड़ी डिफेंस डील की घोषणा होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न तो भारत की ओर से और न ही रूस की ओर से किसी बड़े रक्षा समझौते पर सार्वजनिक ऐलान किया गया।
इसका मतलब यह नहीं है कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग की गाड़ी अटक गई है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के एक बयान से पूरे मामले को समझा जा सकता है। पुतिन ने कहा था कि भारत और रूस का रिश्ता विक्रेता (सेलर) और खरीदार (बायर) का नहीं है, बल्कि दोनों देशों का संबंध एक अलग स्तर का है।
बताया जा रहा है कि बैकचैनल (पर्दे के पीछे) दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते को लेकर बातचीत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है। पुतिन के दौरे से पहले, S-400 और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम तथा पाँचवीं पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट की खरीद और भारत में उनके उत्पादन पर महत्वपूर्ण करार होने की संभावना जताई गई थी।
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S-400/S-500: भारत के पास पहले से S-400 स्क्वाड्रन मौजूद हैं। अतिरिक्त यूनिट की खरीद और इसके एडवांस वर्जन S-500 (जिसे रूस ने अभी तक किसी देश को नहीं बेचा है) को खरीदने पर चर्चा की जा रही थी।
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Su-57: Su-57 लड़ाकू विमान को खरीदने और भारत में उत्पादन पर करार होने की बात कही जा रही थी।
सार्वजनिक घोषणा न होने का अर्थ सिर्फ इतना है कि समझौते अंतिम चरण में हैं और रणनीतिक कारणों से उन्हें गोपनीय रखा गया है।
रक्षा मंत्रियों की मुलाकात और रणनीतिक साझेदारी
पुतिन की भारत यात्रा के साथ ही, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव भी नई दिल्ली पहुँचे थे। उनकी और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच 4 दिसंबर को अहम मुलाकात हुई, जो रक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर केंद्रित थी।
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन लगातार संपर्क में रहते हैं। इस बैठक में व्यापार और आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा हुई, और राजनाथ सिंह ने यूरोशियन इकॉनमिक यूनियन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत शुरू होने की सराहना की।
यह उच्च-स्तरीय रक्षा बैठक इस बात का संकेत है कि दोनों देश अपने संबंधों को ‘खरीद-फरोख्त’ से आगे बढ़कर, सह-उत्पादन (Co-production) और रणनीतिक सहयोग के स्तर पर ले जा रहे हैं।